वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय – वास्तु शास्त्र सबसे पुराने विज्ञानों में से एक है। घर बनवाते समय वास्तु नियमों का ध्यान रखना जरूरी है, अन्यथा घर में वास्तुदोष हो सकता है। जिसके कारण व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वास्तु शास्त्र में घर के हर हिस्से के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। वास्तु शास्त्र में बाथरूम को घर का वह स्थान माना जाता है जहां सबसे ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, इसलिए यहां वास्तु नियमों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। तो आइये जानते है –
वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय – वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शौचालय कहाँ होने चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए, यह दिशा शौचालय के लिए सबसे अच्छी है।
उत्तर दिशा – वास्तु शास्त्र के मुताबिक शौचालय बनाते समय इसकी दिशा का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योकि शौचालय की गलत और सही दिशाओं का प्रभाव घर के लोगों पर दिखाई पड़ता है। इस दिशा में बना शौचालय रोजगार संबंधी परेशानियां लाता है, धन कमाने के अवसर कम ही मिल पाते हैं, साथ ही उस घ में रहने वाले लोग अपने जीवन में कभी तरक्की नहीं कर पाते हैं।
उत्तर-पूर्व दिशा – उत्तर-पूर्व दिशा में बना शौचालय रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। जो लोग इस दिशा में बने शौचालय का उपयोग करते हैं वे मौसमी बीमारियों के कारण लगातार बीमार पड़ते रहते हैं।
पूर्व, उत्तर-पूर्व दिशा – घर के पूर्व, उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय व्यक्ति को थकावट के साथ भारी महसूस कराता है। व्यक्ति कब्ज से पीड़ित है और उसे ताजगी के लिए किसी बाहरी चीज की जरूरत होती है। पूर्व दिशा में बना शौचालय सामाजिक रिश्तों को नष्ट कर देता है।
दक्षिण-पूर्व दिशा – वास्तु के अनुसार दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर बना शौचालय जीवन में परेशानियां पैदा करता है। यह विवाह आदि पवित्र आयोजनों में बाधा उत्पन्न करता है। आत्मविश्वास की कमी के कारण नौकरी करने वाले लोगों में शारीरिक शक्ति की कमी और आत्मविश्वास की कमी होती है।
दक्षिण दिशा – सुख-सुविधा और प्रसिद्धि की दक्षिण दिशा में शौचालय होने के कारण इस घर में रहने वाले लोग प्रसिद्धि की लालसा रखते हैं। ऐसे में यह दिशा इसके लिए अच्छी नहीं है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा – दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में बना शौचालय वह सब कुछ बाहर निकाल देता है जो आपके जीवन के लिए बेकार है, यहां शौचालय होना ठीक है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में शौचालय होने से पारिवारिक रिश्तों में कलह पैदा होती है। यदि शौचालय दक्षिण-पश्चिम दिशा में है तो आप धन की बचत नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा स्कूल जाने वाले बच्चों का ध्यान पढ़ाई पर नहीं लगेगा, क्योंकि यह दिशा शिक्षा और बचत की ओर है।
पश्चिम दिशा – पश्चिम दिशा में शौचालय होने के कारण लोगों को लाख कोशिशों के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाता है।
उत्तर-पश्चिम – उत्तर-पश्चिम दिशा वाला शौचालय वहां के निवासियों के मन से अनावश्यक भावनाओं को दूर करने में सहायता करता है।
इस दिशा में न बनाएं शौचालय
वास्तु शास्त्र के अनुरूप कभी भी उत्तर दिशा या उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार यह दिशा भगवान कुबेर और धन की देवी लक्ष्मी का की मानी गयी है, इन दिशाओं में इनका वास होता है। इस दिशा में शौचालय होने से घर में आर्थिक हानि होती है। इसके अलावा बाथरूम कभी भी दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। इससे परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा असर देखने को मिलता है, साथ ही घर में कोई न कोई बीमार रहता है।
टॉयलेट सीट किस दिशा में होनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, मुख्य द्वार या रसोईघर के सामने कभी भी शौचालय नहीं होना या नहीं बनवाना चाहिए, इससे घर में वास्तुदोष उत्पन्न होता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखे की शौचालय की टॉयलेट सीट हमेशा पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ होनी चाहिए।
इन बातों का भी रखें ध्यान
वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम में रंग का ध्यान रखना भी जरूरी है। बाथरूम के लिए सफेद रंग सबसे अच्छा माना जाता है इसलिए इसमें सफेद रंग की टाइल्स लगवाएं। इसके अलावा आप चाहे तो बाथरूम में आप हल्के रंगों जैसे हल्का हरा, हल्का पीला आदि को भी प्रयोग में ला सकते हैं। वास्तु शास्त्र की माने तो बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी और मग रखना काफी शुभ माना जाता है। इससे घर में बरकत आती है, लेकिन काले और लाल रंग की बाल्टियों का प्रयोग करने से बचना चाहिए।