पूर्व मुखी मकान में सीढ़ियां कहा होनी चाहिए – अगर घर में मौजूद सभी चीजें वास्तुशास्त्र को ध्यान में रखकर तय की जाएं तो सुख-समृद्धि बनी रहती है। सदियों से घर का प्लान बनाने से लेकर घर की साज-सज्जा तक हर चीज में वास्तु को ध्यान में रखा जाता रहा है।
वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि घर बनाते समय दिशाओं का ध्यान रखना जरूरी है। उसी के अनुसार आपको शुभ या अशुभ फल मिलते हैं, इसलिए वास्तु शास्त्र में घर के शयनकक्ष से लेकर रसोईघर तक एक दिशा तय की गई है। यदि किसी व्यक्ति का घर पूर्व दिशा की ओर है तो उसे इन वास्तु नियमों को ध्यान में रखना चाहिए, इससे वह वास्तु दोषों से बचे रहते हैं। इसी तरह वास्तु शास्त्र में पूर्व मुखी मकान में सीढ़ियां कहा होनी चाहिए के बारे में भी बताया गया है, तो चलिए जानते है –
कैसे जानें कि घर पूर्वमुखी है या नहीं?
जब आप अपने घर के अंदर होते हैं, मुख्य द्वार के सामने खड़े होते हैं, तो जिस दिशा की ओर आपका मुख होता है वही आपके घर की दिशा होती है। इसलिए यदि घर से बाहर निकलते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर है तो आप जिस घर में रहते हैं वह पूर्वमुखी है।
वास्तु के अनुसार पूर्व मुखी घर हमेशा सर्वोत्तम घर माना जाता है, क्योंकि इस दिशा में सूर्योदय होता है। भले ही आप वास्तु में विश्वास करें या न करें, फिर भी सुबह की धूप इसी दिशा से आती है और पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलाती है।
क्या पूर्व मुखी घर शुभ माना जाता है?
माना जाता है की भाग्य पूर्व दिशा वाले घर की और आकर्षित (अट्रक्टेड) होता है, क्योंकि यह दिशा सूर्योदय की दिशा है। लेकिन वास्तु के अनुसार ऐसे घरों के लिए भी आपको वास्तु के कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ घर जो पूर्व दिशा की ओर चौड़े और नीचले होते हैं, वे वास्तु शास्त्र के अनुसार सर्वोत्तम माने जाते हैं।
पूर्व मुखी मकान में सीढ़ियां कहा होनी चाहिए / पूर्व मुखी घर में सीढ़ी कहा होनी चाहिए
पूर्व मुखी मकान या पूर्व मुखी घर में सीढ़ियां दक्षिण दिशा, पश्चिम दिशा या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
पूर्व मुखी मकान से सम्बंधित कुछ वास्तु टिप्स
वास्तु के अनुसार पूर्व मुखी घर सबसे शुभ माना जाता है। क्योंकि यह सूर्योदय की दिशा है। यदि आपका घर पूर्वमुखी है तो आपके घर का मंदिर उत्तर-पूर्व कोने में होना चाहिए, इसे बहुत शुभ माना जाता है। प्रवेश द्वार पर तांबे का सूर्य अवश्य लगाना चाहिए, वास्तु शास्त्र के अनुसार यह सुख-समृद्धि को आकर्षित करता है।
किचन किसी भी घर का सबसे अहम हिस्सा होता है। अपने घर की रसोई इस प्रकार रखें कि खाना बनाते समय आपका मुख उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर रहे। रसोईघर में वास्तु नियमों का ध्यान रखने से आपका परिवार बीमारियों से मुक्त रहता है।
पूर्व मुखी घर में सीढ़ियाँ हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिशा में बनानी चाहिए। जिस घर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की ओर हो, वहां बाथरूम उत्तर-पूर्व कोने में नहीं बनाना चाहिए। इसके अलावा आप दक्षिण या पश्चिम दिशा का चुनाव कर सकते हैं।
यदि आपका घर पूर्व दिशा की ओर है तो आपका शयनकक्ष उत्तर-पूर्व कोने में होना चाहिए। वास्तु के अनुसार अपना शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाएं। इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है।
पूर्व दिशा वाले घर की बालकनी को हमेशा खुला रखें। बालकनी में कभी भी कूड़ा इकट्ठा न करें, क्योंकि यहीं से सूरज की रोशनी पूरे घर में आती है, जिससे घर में सकारात्मकता बनी रहती है।
घर के मास्टर बेडरूम की दिशा दक्षिण-पश्चिम रखें। इस दिशा में शयनकक्ष होने से पति-पत्नी के बीच प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
रसोई में खाना बनाते समय गैस की दिशा ऐसी रखें कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। आप उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके खाना बना सकते हैं, लेकिन गैस स्टोव कभी भी दक्षिण दिशा की ओर न रखें।
समृद्धि और सौभाग्य लाने के लिए अपने लिविंग रूम में प्राकृतिक दृश्यों की तस्वीरें लगाएं। इससे आपके परिवार के लोगों के साथ अच्छा तालमेल बना रहेगा।
घर के उत्तरी कोने में एक कटोरी में सेंधा नमक इस प्रकार रखें कि बाहरी लोगों की नजर उस पर न पड़े। नमक किसी भी नकारात्मक ऊर्जा को अपने अंदर समाहित कर लेता है।
यदि आपका घर पूर्वमुखी है तो आपको मुख्य द्वार की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। आपको मुख्य द्वार पर रंग-बिरंगे फूल लगाने चाहिए। मुख्य द्वार पर सूर्य चिन्ह लगाएं।दरवाजे के दोनों तरफ वास्तु पिरामिड रखें और दोनों तरफ स्वस्तिक, ॐ और त्रिशूल जैसे चिन्ह भी लगा सकते हैं। घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए अपने घर में श्रीयंत्र रखें। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने के लिए आप वास्तु कलश भी रख सकते हैं।