Hindi Kahaniyan In Hindi (In Hindi Story In Hindi) – बचपन में हमने अपने दादा-दादी, माता-पिता आदि से कहानियाँ सुनी हैं और वो कहानियाँ हमें जीवन में कुछ नया करने की सकारात्मक ऊर्जा देती थीं और मन जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा से भर जाता था। जब हम हिंदी कहानियाँ सुनते थे, तो हम एक काल्पनिक दुनिया में चले जाते थे, जो आज भी हमें बचपन की मिठास की याद दिलाती है।
कहानियाँ एक ऐसा माध्यम हैं, जिसके माध्यम से बच्चों को अच्छे संस्कार, अनुशासन, अच्छे इंसान आदि की प्रेरणा मिलती है। कहानियाँ बच्चों को सही और गलत की पहचान करना सिखाती हैं और उन्हें जीवन में सही रास्ता चुनने में सहायक होती हैं।
आज का समय बदल गया है, जहाँ बचपन में हम अपने दादा-दादी से ये कहानियाँ सुनते थे, वो कहानियाँ कुछ ही समय में इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। तो आइये जानते है 10 हिंदी मजेदार कहानियां (10 हिंदी मजेदार कहानी) – In Hindi Stories In Hindi (In Hindi Majedar Kahaniya In Hindi) —-
10 मजेदार कहानियां (10 मजेदार कहानी) – Hindi Kahaniyan In Hindi (In Hindi Story In Hindi)
1) राजा और बीज — Hindi Funny Story In Hindi
एक राजा के तीन बेटे थे। अब समय आ चूका था कि राजा अपना उत्तराधिकारी किसे चुने, क्योंकि अब राजा बूढ़ा हो चुका था। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस बेटे को राजा बनाए। इसलिए उसने एक उपाय सोचा और तीनों बेटों को बुलाया और उत्तराधिकारी के बारे में बताया।
राजा ने अपने तीनों बेटो को एक-एक बीज दिया और कहा, “इस बीज को गमले में उगाना है और ठीक एक वर्ष बाद मैं इन्हे देखूंगा कि तुमने बीज की देखभाल कैसे की है और इसे कितना उगाया है। इसी आधार पर मैं अपना उत्तराधिकारी चुनूंगा।”
यह कहकर राजा ने तीनों को जाने को कहा। अब तीनों बेटों ने बगीचे से एक-एक खाली गमला उठाया और उसमें अपने बीज बो दिए। तीनों ने कड़ी मेहनत की और बीजों को पानी देकर उगाना शुरू कर दिया।
एक साल बाद राजा ने तीनों को बुलाया और उनसे अपने गमले दिखाने को कहा। दोनों बड़े बेटों ने अपने गमले अपने पिता को दिखाए, उन गमलों में बड़े-बड़े पौधे उग आए थे। अब जब तीसरे बेटे की बारी आई तो उसका गमला खाली मिला। राजा तीसरे बेटे से पूछता है कि उसका गमला खाली क्यों है?
तब वह उत्तर देता है, “पिताजी, मैंने बहुत कोशिश की पर यह बीज अंकुरित नहीं हुआ। मैंने इसे पुरे साल पानी दिया और इसकी देखभाल भी की।”
जिसेक बाद राजा कहता है, “मेरे उत्तराधिकारी का नाम बताने का समय आ चूका है।”
राजा अपने तीसरे बेटे को राजा बना देता है। तब उसके दोनों बेटों ने आपत्ति जताई कि पिताजी, हमारे गमलों में बड़े-बड़े पौधे थे लेकिन फिर भी आपने उसका गमला खाली होने पर उसे राजा क्यों बनाया। यह अन्याय है।
तब राजा ने तीनों को पूरी कहानी बताई कि उसने एक वर्ष पहले तीनों को उबले हुए बीज दिए थे, जिन्हें पौधा बनाना असंभव है, इसीलिए तीसरे बेटे का बीज नहीं उगा। लेकिन आप दोनों ने असंभव को संभव कर दिखाया और फिर वह हंसने लगा। तीसरे बेटे की ईमानदारी देखकर राजा ने उसे उत्तराधिकारी बना दिया।
कहानी से शिक्षा – सच बोलने वाला हमेशा आगे बढ़ता है।
2) तेनाली राम और मटका – Hindi Funny Stories In Hindi
एक बार किसी बात पर राजा कृष्णदेव तेनाली राम से बहुत नाराज हो गए और उन्हें यह आदेश भी दे दिया कि वह दरबार में न आएं और राजा को कभी अपना चेहरा भी न दिखाएं। अगर तेनाली राम इस आदेश का पालन नहीं करेंगे तो उन्हें सजा के तौर पर कोड़े मारे जाएंगे। जब राजा ने यह आदेश दिया तो तेनाली राम के विरोधी बहुत खुश हुए।
राजा का गुस्सा देखकर तेनाली राम ने उस समय वहां से चले जाना ही बेहतर समझा और दरबार से चले गए। फिर अगले दिन जब राजा अपने दरबार की ओर जा रहे थे तो उस समय तेनाली राम के विरोधी ने राजा को भड़काना शुरू कर दिया और कहा कि तेनाली राम ने आपके आदेश का पालन नहीं किया। वह आपके आदेश को मजाक के तौर पर ले रहा है। तेनाली राम दरबार में अपनी बातों से सबको हंसा रहा है। यह सुनकर राजा का गुस्सा और भी बढ़ गया और वह तेजी से दरबार की ओर बढ़ गए।
वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि तेनाली राम एक बर्तन में अपना चेहरा लगाए खड़े थे और बर्तन में आंखों की जगह दो छेद बने हुए थे। यह देखकर राजा ने गुस्से में कहा कि तेनाली राम तुमने मेरा आदेश नहीं माना। अब तुम कोड़े खाने के लिए तैयार हो जाओ।
इस पर तेनाली राम ने कहा। महाराज, आपने मुझे अपना चेहरा दिखाने से मना किया था। इसीलिए मैंने इस बर्तन से अपना चेहरा ढक रखा है। अगर इसके बावजूद भी आप मेरा चेहरा देख पा रहे हैं, तो इसीलिए कुम्हार ने मुझे टूटा हुआ बर्तन दिया है। इस पर राजा खुश हुए और हंसने लगे। राजा का गुस्सा शांत हो गया। राजा ने तेनाली राम को अपने आसन पर बैठने को कहा। इस पर तेनाली राम के विरोधी चुप हो गए।
3) दयालु चींटी और मूर्ख टिड्डा – Hindi Kahaniya In Hindi
एक बार की बात है, एक हरे-भरे घास के मैदान में एक चींटी और एक टिड्डा रहता था। वह एक मेहनती चींटी थी जो अपना दिन सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा करने में बिताती थी। दूसरी ओर, टिड्डा अपना समय खेलने और गाने में बिताता था, और इतनी मेहनत करने के लिए वह चींटी का मज़ाक उड़ाता था।
अब महीने बीत गए और सर्दी आ गई। घास का मैदान बर्फ से ढक गया, और भोजन दुर्लभ हो गया। टिड्डा, जिसने सर्दियों के लिए तैयारी नहीं की थी, ठंड और भूख से तड़प रहा था। वह चींटी के घर गया और भोजन मांगा। चींटी ने दयालुता दिखाते हुए अपना भोजन टिड्डा के साथ साझा किया। टिड्डा ने एक मूल्यवान सबक सीखा और तब से उसने कड़ी मेहनत करने और भविष्य के लिए तैयारी करने का फैसला किया।
कहानी से शिक्षा – तैयार रहना और कड़ी मेहनत करना ज़रूरी है, लेकिन दयालु होना और ज़रूरतमंदों की मदद करना भी ज़रूरी है।
4) ताकतवर कछुए की मूर्खता – In Hindi Majedar Kahaniya In Hindi
एक झील में एक कछुआ रहता था, जिसके पास एक मजबूत खोल था। यह खोल उसको दुश्मनों से बचाता था। कई बार खोल की वजह से उसकी जान बच गई।
एक बार एक भैंस तालाब में पानी पीने आई। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया। लेकिन विशाल को चोट नहीं लगी। खोल की वजह से उसकी जान बच गई। वह बहुत खुश था क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।
यह खोल कुछ ही दिनों में विशाल को भारी लगने लगा। उसने सोचा कि उसे इस खोल से बाहर निकलकर जीवन जीना चाहिए। अब मैं ताकतवर हो गया हूँ, मुझे खोल की जरूरत नहीं है।
अगले दिन विशाल ने खोल को तालाब में ही छोड़ दिया और इधर-उधर घूमने लगा।अचानक हिरणों का एक झुंड तालाब में पानी पीने आया। बहुत सी मादा हिरणियाँ अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थीं।
उन मादा हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लग गई, वह रोने लगा। क्योकि आज उसने अपना खोल नहीं पहना था। जिसकी वजह से उसे बहुत चोट लग रही थी। विशाल रोता हुआ तालाब पर वापस गया और कवच पहन लिया।
कहानी से शिक्षा – प्रकृति ने जो भी दिया है, उसे सम्मान के साथ स्वीकार करना चाहिए, अन्यथा जीवन खतरे में पड़ सकता है।
5) बिच्छू और संत – Hindu Kahani In Hindi
बिच्छू अपने स्वभाव के चलते आक्रामक रहता है, वह हमेशा दूसरों को नुकसान पहुँचाता है। वही संत स्वभाव से शांत होते हैं, जो दूसरों के कल्याण के लिए काम करते हैं।
बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाली में तेजी से बह रहा था। संत ने बिच्छू को नाली में बहते देखा। उन्होंने उसे हाथ से पकड़ा और बाहर निकाला। अपने स्वभाव के कारण बिच्छू ने संत को डंक मारा और नाली में गिर गया।
संत ने फिर हाथ से बिच्छू को बाहर निकाला। बिच्छू ने फिर संत को डंक मारा। ऐसा दो-तीन बार और हुआ।
वैद्यराज का घर पास में ही था। वे संत को देख रहे थे। वैद्यराज दौड़े हुए आए। उन्होंने एक डंडे की सहायता से बिच्छू को दूर फेंक दिया।
उन्होंने संत से कहा – आप जानते हैं कि बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुँचाना है। फिर भी आपने उसे अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे?
संत ने कहा कि यदि वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता, तो मैं अपना स्वभाव कैसे बदल सकता हूँ!
कहानी से शिक्षा – विपरीत परिस्थितियों में भी अपना स्वभाव नहीं बदलना चाहिए।
6) रामकृष्ण परमहंस और विषधर – In Hindi Stories In Hindi
गाँव के बाहर एक बहुत बड़ा पीपल का पेड़ था। यह पेड़ 200 साल से भी ज़्यादा पुराना था। गाँव के लोग उस पेड़ के नीचे नहीं जाते थे। वहाँ एक भयानक ज़हरीला साँप रहता था। कई बार उसने चारा खा रही बकरियों को काट लिया था।
गाँव के लोग उससे डरते थे। रामकृष्ण परमहंस गाँव में आए थे। लोगों ने उनसे उस ज़हरीले साँप का इलाज करने को कहा।
रामकृष्ण परमहंस उस पेड़ के नीचे गए और ज़हरीले साँप को बुलाया। ज़हरीला साँप गुस्से में परमहंस जी के सामने खड़ा हो गया। परमहंस ने ज़हरीले साँप को जीवन का ज्ञान दिया और वहाँ से चले गए।
ज़हरीला साँप अब शांत हो गया। उसने किसी को नहीं काटा। गाँव के लोग भी बिना किसी डर के उस पेड़ के नीचे जाने लगे।
एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गाँव लौटे। उन्होंने देखा कि बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे थे। वे ज़हरीले साँप को परेशान कर रहे थे। ज़हरीला साँप कुछ नहीं कर रहा था।
यह देखकर उसने बच्चों को डांटकर भगा दिया और जहरीले सांप को अपने साथ ले गया।
कहानी से शिक्षा – संत की संगति में बुरे लोग भी अच्छे बन जाते हैं।
7) खुद का नुकसान – Hindi Kahaniyan In Hindi
शहर में एक छोटी सी दुकान थी, जिसमें चिप्स, पापड़, टॉफी, बिस्किट आदि मिलते थे। यह दुकान अब्दुल मियां की थी। उनकी हालत के बारे में सभी जानते थे, इसलिए न चाहते हुए भी आस-पड़ोस के लोग कुछ सामान खरीद लेते थे। ताकि अब्दुल मियां कुछ पैसे कमा सकें।
दुकान में चूहों ने भी डेरा जमा लिया था। एक के बाद एक शरारती चूहे दुकान पर आ गए थे। ये चूहे टॉफी और बिस्किट को नुकसान पहुंचाने लगे थे।
अब्दुल बहुत परेशान था, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस शरारत से कैसे बचा जाए। एक दिन अब्दुल बैठा था और तीन-चार चूहे आपस में लड़ रहे थे। अब्दुल को गुस्सा आया और उसने चूहों को डंडे से मारा।
चूहे उछलकर भाग गए, लेकिन डंडे से इतनी जोर से मारा गया कि टॉफी वाला कांच का जार टूट गया। इससे और भी बड़ा नुकसान हुआ।
कहानी से शिक्षा – गुस्से में कोई काम नहीं करना चाहिए, इससे खुद को नुकसान होता है।
8) सूरज और हवा – Hindi Funny Story In Hindi
एक दिन सूरज और हवा अपनी बहादुरी की कहानियाँ सुना रहे थे। सूरज ने कहा कि वह अधिक शक्तिशाली है और हवा ने कहा कि वह अधिक शक्तिशाली है। दोनों ने तय किया कि वे एक प्रतियोगिता करेंगे। दोनों एक बड़े मैदान के सामने खड़े हो गए। उन्होंने तय किया कि वे इस मैदान से गुजरने वाले पहले यात्री पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
सूरज और हवा में से जो यात्री को अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर करेगा, वह अधिक शक्तिशाली होगा। हवा बहुत तेजी से बहने लगी। उस व्यक्ति के कपड़े उड़ने लगे। उसके लिए चलना मुश्किल हो गया। लेकिन जितना उसके कपड़े उड़ने की कोशिश करते, वह उतना ही उन्हें अपने शरीर से कसकर बाँधता। यह देखकर हवा को गुस्सा आ गया। यह इतनी तेजी से बहने लगी कि यह एक तूफान जैसा लगने लगा। अपनी सुरक्षा के लिए वह व्यक्ति एक कोने में खड़ा हो गया। अंत में हवा थक गई। लेकिन वह उस व्यक्ति के कपड़ों का एक भी टुकड़ा नहीं उतार सकी। जब हवा के झोंके बंद हो गए, तो वह व्यक्ति फिर से आगे बढ़ा। वह यह देखकर हैरान रह गया कि अचानक सूरज चमकने लगा और गर्मी बढ़ने लगी।
बात यह थी कि अब सूर्य की कोशिश की बारी थी। सूर्य ने न तो गुस्सा किया और न ही ज्यादा बल प्रयोग किया। वह बस आराम से चमकता रहा। आखिरकार उस आदमी को गर्मी लगने लगी। गर्मी से परेशान होकर उसने अपने कपड़े उतार दिए। पास में ही एक नदी बहती थी। वह नहाने के लिए नदी की ओर चला गया।
सूर्य जीत गया। हवा समझ गई कि गुस्सा करने से कुछ नहीं होता। बस शांत रहकर अपना काम करना चाहिए। जो काम शांत व्यक्ति कर सकता है, वही काम गुस्से वाले व्यक्ति के लिए करना मुश्किल होता है।
9) यह सड़क कहाँ जाती है – In Hindi Kahani In Hindi
भीखू हलवाई का बेटा बच्चू बड़ा ही मनमौजी था। मन करे तो कर लो, नहीं तो रहने दो…जब करना होगा, कर लेंगे।
एक दिन उसने दुकान से जलेबियों से भरी प्लेट ली। वह गांव से बाहर जाने वाली सड़क के किनारे बैठ गया और जलेबियाँ खाने लगा। तभी एक थका हुआ यात्री वहाँ आया। उसने बच्चू से कहा, ‘ मैं बहुत दूर से आया हूँ। मुझे बहुत भूख लगी है, क्या मुझे यहाँ कुछ अच्छा खाने को मिलेगा?’
बच्चू ने उसे एक जलेबी देते हुए कहा – यह लो भाई, जलेबी खा लो और अगर और चाहिए तो भीखू हलवाई की दुकान पर चले जाओ। तुम्हें खाने को सब कुछ मिल जाएगा।’
यात्री ने देखा कि वहाँ दो रास्ते थे। उसने बच्चे से पूछा, ‘अच्छा, बताओ इनमें से कौन सा रास्ता भीखू हलवाई की दुकान पर जाता है?’
यह सुनकर बच्चू को बहुत राहत मिली। वह हंसा और बोला, ‘अरे भाई, तुम तो मुझसे भी आलसी निकले। मेरे पिताजी हमेशा कहते थे कि मुझसे ज्यादा आलसी कोई नहीं हो सकता। पर अब मैं उन्हें बता दूंगा कि वह गलत थे।’
यात्री समझ नहीं सका कि आखिर मामला क्या है, उसने तो सिर्फ रास्ता पूछा था। इसमें आलसी होने की क्या बात थी? खैर, उसने फिर पूछा, ‘यह सब छोड़ो और यह बताओ कि भीखू हलवाई की दुकान पर कौन सी सड़क जाती है?’
बच्चू बोला, ‘ऐसा है भाई, ये दोनों सड़कें कहीं नहीं जाती हैं। यहीं पड़ी हैं। हां, अगर तुम्हें कुछ खाना है तो थोड़ा हाथ-पैर हिलाओ और इस दाईं ओर वाली सड़क पर चलो। सीधे दुकान पर पहुंच जाओगे। और अगर सड़क के भरोसे रूक गए तो यहीं खड़े रह जाओगे, क्योंकि ये सड़कें बहुत आलसी हैं, सालों से यहीं पड़ी हैं।
यह सुनकर यात्री जोर से हंसा। हंसते हुए वह दाईं ओर वाली सड़क पर चलने लगा।
10) खूबियाँ तो हम सब में होती है
जंगल का राजा शेर युद्ध की तैयारी में लगा हुआ था। उसने जंगल के सभी जानवरों की एक बैठक बुलाई, जिसमे हाथी, हिरण, खरगोश, घोड़ा, गधा, भालू, बंदर, सभी आए।
राजा शेर ने सभी को उनके कार्य सौंपे। केवल खरगोश और गधे को ही कार्य सौंपे जाने बाकी थे। शेष जानवरों ने कहा, ‘महाराज, कृपया गधे और खरगोश को अपनी सेना में शामिल न करें।’
‘लेकिन क्यों?’ शेर ने पूछा।
तब हाथी सभी जानवरों के सामने खड़ा हो गया और बोला, ‘महाराज, गधा इतना मूर्ख है कि वह हमारे किसी काम का नहीं है, युद्ध के समय एक बुद्धिमान व्यक्ति की आवश्यकता होती है।’
तब भालू ने कहा, ‘महाराज, यह खरगोश इतना डरपोक है कि मेरी परछाई से भी डरकर भाग जाता है। युद्ध में ऐसे डरपोक व्यक्ति का क्या काम?’
अब शेर ने कहा, ‘भाइयों, तुमने गधे और खरगोश की कमजोरियाँ तो देखी हैं, लेकिन क्या तुमने उनकी खूबियों पर ध्यान दिया?’
देखो गधा इतनी जोर से चिल्ला सकता है कि मेरी दहाड़ भी उसके सामने हल्की लगेगी और क्या खरगोश जितना फुर्तीला कोई है? इसीलिए तो गधे को उद्घोषक और खरगोश को ‘संदेशवाहक’ बनाता हूँ। हर किसी में कोई न कोई गुण होता है। बस तुम्हें उसे ढूँढ़ना है।’
बेलो – ‘हाँ’ या ‘नहीं’।