भागवत या भगवत गीता के अनुसार पाप कर्मों से मुक्ति का तरीका इन हिंदी – मनुष्य चाहे या न चाहे, लेकिन अपने जीवन में कई पाप कर चुका है, लेकिन फिर भी वह प्रायश्चित करके साधु – संत का पद प्राप्त कर सकता है।
भगवत गीता का हिंदू धार्मिक ग्रंथों में विशेष स्थान है। गीता के उपदेश भगवान श्री कृष्ण द्वारा युद्ध के मैदान में अर्जुन को दिया गया सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है। इस ज्ञान के माध्यम से ही अर्जुन को सही और गलत के बीच का अंतर पता चल सका और इसी के आधार पर अर्जुन ने युद्ध जीता।
महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बने और अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। यह उपदेश उस समय जितना प्रासंगिक था उतना ही आज भी है।
मनुष्य चाहे या न चाहे, लेकिन अपने जीवन में कई पाप कर चुका है, लेकिन फिर भी वह प्रायश्चित करके साधु – संत का पद प्राप्त कर सकता है।
आज के इस लेख में हम आपको भगवत गीता के अनुसार पाप कर्मों से मुक्ति का तरीका इन हिंदी के बारे में जानकारी देने वाले है। तो चलिए जानते है –
भगवत गीता के अनुसार पाप कर्मों से मुक्ति का तरीका इन हिंदी
भगवत गीता के अनुसार पाप कर्मों से मुक्ति का तरीका – प्रायश्चित करना है। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहिए और दोबारा पाप नहीं करना चाहिए। जब कोई आत्मा अपने पापों के लिए पश्चाताप करती है तो उसकी आत्मा शुद्ध हो जाती है।
गीता में कहा गया है कि पाप कर्मों से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को निःस्वार्थ कर्म, भक्ति, ज्ञान और अनुशासन के माध्यम से अपने मन और कार्यों को शुद्ध करना चाहिए। इससे आध्यात्मिक विकास, स्वतंत्रता और मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलेगी। ईश्वर की भक्ति और समाज सेवा से आप अपने पापों से मुक्ति पा सकते हैं।
पाप से मुक्ति के उपाय
जाने अनजाने में हुए पापों से मुक्ति (पाप से मुक्ति के उपाय) के लिए बेजुबानों की सेवा करनी चाहिए।
पाप से मुक्ति के लिए पक्षी, मछली, कुत्ते, गाय, चींटी आदि को भोजन कराये।
प्रत्येक अमावस्या के दिन कुछ न कुछ दान करने का नियम बनाएं। अमावस्या पितरों को समर्पित तिथि है। इस दिन किया गया दान पितरों के लिए होता है। इससे सभी पाप दूर हो जाते हैं, पितरों का आशीर्वाद मिलता है और उनके ऋण से मुक्ति मिलती है। पितृ दोष का प्रभाव दूर होता है।
नियमित रूप से कुछ समय तक गीता, रामायण, सुंदरकांड आदि किसी भी पाठ का पाठ करें। इससे आपका मन शुद्ध होगा और पूर्व जन्म के पाप दूर हो जायेंगे। साथ ही आपका वर्तमान जिंदगी भी सुखमय हो जायेगी।
पीपल और बरगद के वृक्ष देवतुल्य माने गए हैं। पीपल और बरगद की रोजाना नियमित पूजा करनी चाहिए। पानी देना चाहिए। यदि संभव हो तो अपने जीवन में पीपल या बरगद का पौधा अवश्य लगाएं। इन वृक्षों की सेवा करने से आपकी पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है।
लगातार 7 अमावस्या तिथियों पर 9 पीपल के पेड़ लगाएं या लगवाएं। उनका ध्यान रखे। इससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी और भाग्य चमक उठेगा। अगर संभव हो तो इस दिन गुप्त दान करें।
मनुष्य पाप क्यों करता है?
अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण से यह प्रश्न पूछते हैं कि मनुष्य न चाहते हुए भी बुरे कर्म क्यों करता है। जिसके जवाब में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मनुष्य की वासना और निहित स्वार्थों के कारण ही वह पाप करने पर मजबूर होता है।
पाप करने का सबसे बड़ा कारण मनुष्य की वासना (कुछ पाने की इच्छा) है क्योंकि वासना क्रोध को जन्म देती है और क्रोध भ्रम को जन्म देता है, जिससे सबसे पहले बुद्धि का नाश होता है और यही मनुष्य के विनाश का कारण बनता है।
भगवान श्रीकृष्ण आगे कहते हैं कि जिस प्रकार धुआं अग्नि को ढक लेता है, उसी प्रकार काम, मोह और वासना भी मनुष्य के ज्ञान को ढक लेते हैं। इन्हीं कारणों से मनुष्य पाप करने पर मजबूर हो जाता है।
गीता में भगवान श्री कृष्ण पाप से बचने के कुछ उपाय भी बताते हैं। जिसके अनुसार मनुष्य को राग-द्वेष (आसक्ति और विरक्ति) के वशीभूत नहीं होना चाहिए। जब किसी व्यक्ति में आसक्ति और विरक्ति का अभाव होता है तो वह जीवन सर्वोत्तम माना जाता है।
सारांश (Summary)
आज के इस लेख में हमने आपको – भगवत गीता के अनुसार पाप कर्मों से मुक्ति का तरीका क्या है के बारे में जानकारी दी है। हम उम्मीद करते है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको यह जानकारी भगवत गीता के अनुसार पाप कर्मों से मुक्ति का तरीका अच्छी लगी है तो इस दूसरो के साथ भी शेयर करे।